खिलाफते राशिदा सानी (IInd) पर 100 सवाल (63-64)

➡सवाल नं. (63): क्या खिलाफत की खुद अपनी करंसी (मुद्रा) होगी?

हॉ, वस्तुओं के लेन-देन के ताल्लुक़ से इस्लाम एक खास मोनेटरी इकाई (मुद्रा पॉलिसी) रखता है। जो चीज़ों के लेन-देन के मामलें मे तमाम इंसानियत की रहनुमाई करते हुए है।
 
इस्लाम ने खिलाफत में जारी करने के लिए खास किस्म की करंसी (मुद्रा) यानी सोना और चांदी को मुकर्रर किया है। इस बारे में सुन्नत से कई दलायल आए है जिसमें सोना और चांदी को बुनियादी इकाई के तौर पर चीज़ो की क़ीमतो और सेवाओं के बदले इस्तिमाल करने को कहा गया है। जैसा कि अल्लाह के नबी (صلى الله عليه وسلم) के इस अमल से मालूम होता कि आप (صلى الله عليه وسلم) जक़ात इक्ट्ठी करते वक़्त, टेक्स करते वक़्त और जुर्माना लगाते वक़्त सभी चीज़ो को सोने और चांदी के हिसाब से आंकते थे और उन सभी में आप (صلى الله عليه وسلم) सोना और चांदी को ही बुनियाद की हैसियत से लेते थे।

➡ सवाल नं. (64): क्या खिलाफत में फाइनेंशियल मार्किट होगें?


✳ पश्चिम में फाइनेंशियल मार्केट जैसे करंसीज़, स्टोक, बांड और डेरिवेटिव मार्किट, यह सभी चीज़े आर्थिक ज़िन्दगी का एक आम हिस्सा बन चुकी है। यह सभी मार्किट प्रत्येक दिन के आधार पर भारी भरकम रक़म कमाते है और साथ ही पश्चिमी अर्थव्यवस्था को सक्रिय रखने का अहम बिन्दू है।

✅आम तौर पर मार्केट (बाजार) वोह जगह होती है जहॉ खरीदने और बेचने वाले आकर एक दूसरे से लेन-देन करते है। इस्लामी नुक्ताए नज़र से असल मुद्दा यह है की इस बाज़ार में और इस जैसे बाज़ारो मे किस चीज़ का व्यापार हो रहा है  या किस चीज़ का लेन-देन हो रहा है। जहॉ तक सामान और सेवाओं के लेन-देन की बात है तो इस्लाम ने इसे हलाल क़रार दिया है। इस तरह खिलाफत इलेक्ट्रोनिक मार्केट को अपनाएगी जिसके ज़रिए व्यापार आसान और मोअस्सर हो जाता है।


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