खिलाफते राशिदा सानी (II nd) पर 100 सवाल (45-46)

➡ सवाल नं. (45): क्या गै़र-मुस्लिम औरतों को भी उनका जिस्म ढाकने के लिए मज़बूर किया जायेगा? 















✔ गै़र-मुस्लिमों को उनके खान-पीन, वेश-भूषा (लिवास) में उनके अक़ीदे और आस्था के मुताबिक रहने दिया जायेगा सिर्फ उस दायरे में जिसमें शरीअत ईजाज़त देती हैं यानी वो अपनी तहज़ीब के हिसाब से लिबास पहन सकती हैं. मिसाल के तौर पर गै़र-मुस्लिम औरतें साडी़ पहन सकती हैं, बस अगर वह सार्वजनिक स्थल (public places) पर जायेगी तो वहॉ उनको अपने शरीर को ढकना होगा। वह अपने ईलाके व घर पर, जैसे चाहे वैसे अपने धर्म के मुताबिक रह सकती हैं।

🔱🔱खिलाफते राशिदा सानी (II nd) पर 100 सवाल🔱🔱


➡सवाल नं. (46): खिलाफत की शिक्षा नीति क्या होगी?


✅ खिलाफत लोगों को इस्लामी शिक्षा मुहैंय्या करायेगी, जिसमें दुनियावी (Temporal) और रूहानी (spiritual), इसके साथ-साथ नज़रियाती (ideological) और प्रायोगिकी (experimental sciences) का भी ईल्म होगा। खिलाफत लोगों को इस तरह से शिक्षित करेगी जिससे लोग समाज के हर मामलात में सहयोग करने के लिए तैयार हो जाए।

✔ इसके लिए पहला क़दम होगा एक ऐसे पाठ्यक्रम को तय्यार करना जो पूरी खिलाफत की रियासत में एक जैसा लागू किया जा सके। इसके साथ यह एक ऐसा पाठ्यक्रम होगा जिसमें कोई खारजी (विदेशी) दखलअंदाजी नही होगी ताकि विदेशी ताक़तो के गलत नज़रियात के ज़रिये खिलाफत के शहरियों को मुतास्सिर होने से बचाया जा सके।

✅ पहली खिलाफत के खत्म होने की एक बडी़ वजह अजनबी नज़रियात का मुस्लिम दुनिया मे फैल जाना था जो इसाई मिश्नरीयों के ज़रिये फैलाई गई. इन मिशनरियों ने भौतिक विज्ञान को सिखाने के बहाने मुस्लिम बच्चों को गैर-इस्लामी नज़रियात पढाये, जिससे बाद मे चल इस्लाम के मानने वालो के दर्मियान से ही इस्लाम के दुश्मन और गद्दार पैदा हुए।

✔ खिलाफत की शिक्षा व्यवस्था का मक़सद लोगों में इस्लामी शख्सियत पैदा करना होगा। (इस्लामी शख्सियत से तात्पर्य इस्लामी अक्लियत (विचारधारा) और नफ्सियत (रूझानात)। यानी उनके सोचने का तरीका इस्लामी हो और पसन्द ना पसन्द/ खुशी और नफरत इस्लामी बुनियाद पर हो. ऐसा पाठ्यक्रम बनाना जो बच्चों में इस्लामी शख्सियत पैदा करे।

💠 इसी तरह यह शिक्षा व्यवस्था इस्लामी संस्कृति, विद्दार्थीयों के दिल व दिमागों में पेवस्त करेगी और उन्हें एक ऐसी पीढी़ के रूप में तैय्यार करेगी, जो ज़िन्दगी के हर क्षेत्र में विशेषज्ञ (expert) हो। वो विज्ञान के क्षेत्र में भी तरक्की करे। चाहे वो इस्लामी साइंसेस हो या फिर नेचुरल सांइेसस।

💠 नेचुलर साइंस (प्राकृतिक विज्ञान) उसे कहते हैं, जिसमें भौतिक विज्ञान आते हैं जैसे फिजिस्क, कैमेस्टी वगैराह। इस्लामी सांइस मे मुराद फिक्ह व ऊसूल है। ऐसी तालीम देने का मक़सद बहतरीन औलमा और विद्वान पैदा करना है ताकी उम्मत एक बहतरीन क़ौम के रूप में दुनिया का नेतृत्व कर सके।
Share on Google Plus

About Khilafat.Hindi

This is a short description in the author block about the author. You edit it by entering text in the "Biographical Info" field in the user admin panel.
    Blogger Comment
    Facebook Comment

0 comments :

इस्लामी सियासत

इस्लामी सियासत
इस्लामी एक मब्दा (ideology) है जिस से एक निज़ाम फूटता है. सियासत इस्लाम का नागुज़ीर हिस्सा है.

मदनी रियासत और सीरते पाक

मदनी रियासत और सीरते पाक
अल्लाह के रसूल (صلى الله عليه وسلم) की मदीने की जानिब हिजरत का मक़सद पहली इस्लामी रियासत का क़याम था जिसके तहत इस्लाम का जामे और हमागीर निफाज़ मुमकिन हो सका.

इस्लामी जीवन व्यवस्था की कामयाबी का इतिहास

इस्लामी जीवन व्यवस्था की कामयाबी का इतिहास
इस्लाम एक मुकम्म जीवन व्यवस्था है जो ज़िंदगी के सम्पूर्ण क्षेत्र को अपने अंदर समाये हुए है. इस्लामी रियासत का 1350 साल का इतिहास इस बात का साक्षी है. इस्लामी रियासत की गैर-मौजूदगी मे भी मुसलमान अपना सब कुछ क़ुर्बान करके भी इस्लामी तहज़ीब के मामले मे समझौता नही करना चाहते. यह इस्लामी जीवन व्यवस्था की कामयाबी की खुली हुई निशानी है.