अगर कल खिलाफत क़ायम हो जाये! (इदारा बराए शहरियत और पासपोर्ट)

इदारा बराए शहरियत और पासपोर्ट (Department of Citizenship and Passport) खलीफा इस इदारे का सरबराह मुक़र्रर करेगा और मौजूदा तमाम रजिस्ट्रेशन दफा...
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खिलाफत दस्तावेज़ (भाग - 1)

खिलाफत दस्तावेज़ (भाग - 1) राजनैतिक कमेंट्स: टोनी ब्लेयर Tony Blair (भूतपर्व ब्रिटिश प्रधान मंत्री) एक राष्ट्रीय सभा से भाषण देते हुये कहा: ...
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अगर कल खिलाफत क़ायम हो जाये! (महकमा-ए-इत्तिलाआत)

महकमा-ए-इत्तिलाआत (Media Department) खलीफ इस महकमे का सबराह मुकर्रर करेगा. टी.वी, रेडीयो, प्रिंट मीडिया, और मुख्तलिफ विडियो कम्पनियों के इकट...
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अगर कल खिलाफत क़ायम हो जाये! (महकमा बराए तालीम)

महकमा बराए तालीम व सक़ाफत (Department of Education) खलीफा इस महकमे का सरबराह मुक़र्रर करेगा जो फौरन नया तालीमी निसाब के आने के बाद ही स्कूलों ...
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अगर कल खिलाफत क़ायम हो जाये (इदारा बराऐ अदालती उमूर)

इदारा बराऐ अदालती उमूर (Judiciary) खलीफा मौजूद वज़ारते इंसाफ और उसके मातेहत इदारों के खत्म करके उनकी जगह एक नया इदारा क़ायम करेगा जिस के तहत त...
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अगर कल खिलाफत क़ायम हो जाये (महकमाऐ ज़राअत)

महकमाऐ ज़राअत (Department of Agriculture) खलीफा इस महकमे का सरबराह मुक़र्रर करेगा. इस का काम मौजूदा वसाइल के मुताबिक़ ज़राअत में नया इंक़लाब लाना...
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अगर कल खिलाफत क़ायम हो जाये (महकमा-ऐ-खज़ाना)

महकमा-ऐ-खज़ाना (Department of Treasury) खलीफा इस महकमे का सरबराह मुंतखिब करेगा जिस का एक हेडक्वाटर होगा जिस को बैतुलमाल कहेंगे। यह मक मा फौज ...
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अगर कल खिलाफत क़ायम हो जाये (भाग-4)

महकमा बराऐ सनअत (Department of Industry) इस महकमे का काम सनअत से मुताल्लिक़ तमाम उमूर के निगरानी है चाहे वोह भारी सनअत हो (मशीन बनाने वाले इं...
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इस्लामी सियासत

इस्लामी सियासत
इस्लामी एक मब्दा (ideology) है जिस से एक निज़ाम फूटता है. सियासत इस्लाम का नागुज़ीर हिस्सा है.

मदनी रियासत और सीरते पाक

मदनी रियासत और सीरते पाक
अल्लाह के रसूल (صلى الله عليه وسلم) की मदीने की जानिब हिजरत का मक़सद पहली इस्लामी रियासत का क़याम था जिसके तहत इस्लाम का जामे और हमागीर निफाज़ मुमकिन हो सका.

इस्लामी जीवन व्यवस्था की कामयाबी का इतिहास

इस्लामी जीवन व्यवस्था की कामयाबी का इतिहास
इस्लाम एक मुकम्म जीवन व्यवस्था है जो ज़िंदगी के सम्पूर्ण क्षेत्र को अपने अंदर समाये हुए है. इस्लामी रियासत का 1350 साल का इतिहास इस बात का साक्षी है. इस्लामी रियासत की गैर-मौजूदगी मे भी मुसलमान अपना सब कुछ क़ुर्बान करके भी इस्लामी तहज़ीब के मामले मे समझौता नही करना चाहते. यह इस्लामी जीवन व्यवस्था की कामयाबी की खुली हुई निशानी है.